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प्रकाशकीय डॉ. भोलाशंकर व्यास द्वारा संपादित प्राकृत-पैंगलम् ग्रंथ प्राकृत ग्रन्थ परिषद् द्वारा दो भागों में क्रमश: ई.स. १९५९ और १९६२ में प्रकाशित किया गया था। अंतिम कई वर्षों से ग्रंथ अप्राप्य हो चुका था। इसका पुनर्मुद्रण करते हुए हमें हर्ष हो रहा है। दोनों भाग एक ही जिल्द में एवं डबल डिमाई साईझ में प्रकाशित किये जा रहे हैं।
प्राकृत ग्रन्थ परिषद् के मार्गदर्शक और परम हितचिन्तक प.प. आचार्यश्री विजयशीलचन्द्रसूरिजी म.सा. ने इस ग्रंथ के पुनर्मुद्रण के लिए हमें प्रेरित किया, प्रकाशन के लिए आर्थिक सहयोग भी दिलवाया और ग्रंथ के मुद्रण आदि का प्रबंध भी स्वयं किया - इस तरह यह पुनर्मुद्रण का संपूर्ण श्रेय आपश्री को जाता है। हम पू. आचार्यश्री के सदैव ऋणी रहेंगे।
पू. आचार्यश्री की प्रेरणा से इस ग्रंथ के प्रकाशन के लिए श्री विश्वनंदिकर वासुपूज्यविहार जैन रिलीजीयस ट्रस्ट, अरुण सोसायटी, पालडी, अहमदाबाद ने संपूर्ण आर्थिक सहयोग दिया है। हम संस्था के ट्रस्टीओं का विशेष आभार मानते हैं।
__ ग्रंथ का मुद्रणकार्य सुचारु रूप से संपन्न करने के लिए क्रिष्ना ग्राफिक्स प्रेस वाले श्री हरजीभाई एवं निःस्वार्थ रूपसे उत्तम प्रुफरीडींग करनेवाले श्री अश्विनभाई (सरस्वती पुस्तक भंडार) का भी आभार मानते हैं । दिनांक १७-६-२००७
रमणीक शाह अहमदाबाद
मंत्री
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