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________________ १९ विषयानुक्रम ३७५-४०५ (३) अट्ठावन नपुंसक नाम ७२-७३ ३७५-९९ अट्ठावन नपुंसकजातीय अंगों के नाम और उनके स्पर्शानुसार फलादेश ४००-४०५ नपुंसकजातीय नामों का निर्देश ४०६-४४१ (४) सतरह दक्षिण ७३-७४ सतरह दक्षिण-दाहिने अंगोंके नाम, 'स्पर्शानुसार फलादेश, और दक्षिण के एकार्थक-समानार्थक ४४२-७९ (५) सतरह वाम ७५-७६ सतरह वाम–बायें अंगों के नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और वाम के एकार्थक ४८०-५२१ (६) सतरह मध्यम ७६-७६ सतरह मध्यम अङ्गों के नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और मध्यम के एकार्थक समानार्थक ५२२-६४ (७) अट्ठाईस दृढ ७७-७९ अट्ठाईस चल अंगो के नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और दृढ के समानार्थक ५६५-६१६ (८) अट्ठाइस चल ७९-८० अट्ठाईस चल अंगो के नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और चल के समानार्थक ६०१-६१० इन पद्यों में प्राकृत क्रियापदों का विपुल संग्रह है। ६१७-५६ (९) सोलह अतिवृत्त ८१-८२ सोलह अतिवृत्त-अतिक्रान्त अंगों के नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और उनके समानार्थक ६४४-५० इन पद्यों में प्राकृत क्रियापदों का विपुल संग्रह है ६५७-९६ (१०) सोलह वर्तमान ८२-८३ सोलह वर्तमान अंगों के नाम, उनके स्पर्शानुसार फलादेश और उनके समानार्थक ६८४-९१ इन पद्यों में प्राकृत क्रियापदों का विपुल संग्रह है ६९६-७३४ (११) सोलह अनागत ८३-८४ सोलह अनागत अंगों के नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और समानार्थक ७२०-२९ इन पद्योंमें प्राकृत कियापदों का विपुल संग्रह है ७३५-७१ (१२) पचास अभ्यन्तर ८४-८६ पचास अभ्यन्तर अंगों के नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और समानार्थक ७७२-८०६ (१३) पचास अभ्यन्तराभ्यन्तर ८६-८७ पचास अभ्यन्तराभ्यन्तर अंगों के नामों का अतिदेश, स्पर्शानुसार फलादेश और एकार्थक ७९७-८०१ इन पद्यों में प्राकृत क्रियापदों का संग्रह है ८०७-३६ (१४) पचास बाहिराभ्यन्तर ८७-८८ पचास बाहिराभ्यन्तर अंगों के नामों का अतिदेश, स्पर्शानुसार फलादेश और एकार्थक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001439
Book TitleAngavijja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2000
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Jyotish, & agam_anykaalin
File Size12 MB
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