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पूज्य मुनि श्री पुण्यविजयजी द्वारा सम्पादित ग्रन्थों की सूचि
मुद्रणवर्ष
१९१७ १९१८
१. मुनि रामचन्द्रकृत कौमुदीमित्रानन्दनाटक २. मुनि रामभद्रकृत प्रबुद्धरौहिणेय नाटक
३. श्रीमन्मेघप्रभाचार्यविरचित धर्माभ्युदय
(छाया नाटक )
४४. गुरुतत्त्वविनिय
*E.
(उपाध्याय श्री यशोविजयकृत) ऐन्द्रस्तुतिचतुर्विंशतिका
(वाचक संघदासगणिविरचित) वसुदेव- हिण्डि
*७. कर्मग्रन्थ ( भाग १-२ )
१८. बृहत्कल्पसूत्र नियुकिाभाष्यवृत्तियुक्त
(भाग १-६)
९. भारतीय जैन श्रमणसंस्कृति अने लेखनकला
१०. ( पूज्य श्री जिनभद्रगणिक्षमाश्रमणविरचित) जीतकल्पसूत्र स्वोपज्ञभाष्य सहित ११. (कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्यप्रणीत) सकलास्तोत्र श्रीकनककुशलगणिविरचित वृत्तियुक्त
१२. श्री देवभरिकृत) कथारत्नकोश
१३. ( श्री उदयप्रभसूरिकृत) धर्माभ्युदयमहाकाव्य
१४. (कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्यप्रणीत) त्रिषष्टिशालाकापुरुषचरित्र-महाकाव्य
( पर्व २, ३, ४)
१५. जेसलमेरली चित्रसमृद्धि १६. कल्पसूत्र नियुक्ति, चूर्णि टिप्पण गुर्जर अनुवाद सहित
१९१८
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१९२८
१९३३ - ३८ तथा १९४२
१९३०-३१
१९३४-४०
१९३५
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- १९४९
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१९५७–२०००
१९६१
२०. सोमेश्वरकृत उल्लाघराघवनाटक
२१. Descriptive Catalogue of palm leaf MSS. in the Shantinath Bhandar
२२. Catalogue of Sanskrit and Prakrit MSS. of L. D. Institute
of Indology, Parts I-IV २३. (श्रीनेमिचन्द्राचार्यकृत) आख्यानकमणिकोश, आम्रदेवसूरिकृत वृत्ति सहित X२४. ( (श्री हरिभद्रसूरिकृत) योगशतक स्वोपज्ञवृत्तियुक्त; तथा ब्रह्मसिद्धान्तसमुच्चय
२५. (सोमेश्वरकृत) रामशतक २६. नन्दी चूर्णसहित
२७.
+२८.
नन्दीसूत्र- विविध वृत्ति युक्त (आचार्य हेमचन्द्रकृत ) निघण्टुशेष, श्री श्रीवल्लभगणिकृत टीका सहित +२९. नंदि अणुओगदाराई ३०. ज्ञानाञ्जलि (महाराज श्रीना
दीक्षापर्यायषष्टिपूर्ति समारोह प्रसंगे प्रगट थयेल महाराज श्रीना लेखोनो तथा महाराजश्रीने अंजलि आपता लेखोनो संग्रह)
+३१. पन्नवणासुत्त (प्रथम भाग ) +३२. पन्नवणासुत्त (द्वितीय भाग) ३३. जेसलमेरज्ञानभाण्डारसूचिपत्र
मुद्रणवर्ष १९६१
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१९६१ - १९६६
१९६३, १९६५, १९६८, १९७२
१९६२
१९६५
१९६६
१९६६
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१७. अंगविज्जा
३४. पत्तनज्ञान भाण्डारसूचिपत्र भाग - १
१८. (सोमेश्वरकृत) कोर्तिकौमुदी तथा
(अरिसिंहकृत) सुकृतसंकीर्तन १९. सुकृतकीर्तिकल्लोलिन्यादि वस्तुपाल - प्रशस्तिसंग्रह
३५. दसकालीयच अगस्त्यसिंह चूर्णि सहित ३६. सूत्रकृतांग चूर्णि भाग-१
१९६१
३७.
कवि रामचन्द्रकृत नाटकसंग्रह
एतदुपरान्त, मुनिश्रीने अनेक आगमग्रन्थ व अन्य ग्रन्थों की पाण्डुलिपियाँ ( Press copy) करवा रक्खी है और उनमें स्वयं पाठान्तर भी ले रक्खें हैं । उसी तरह, मुद्रित आगम व आगमेतर ग्रन्थों के पाठान्तर भी उन्होंने ले रक्खे हैं; इस प्रकार उन्होंने विपुल मुद्रणार्ह सामग्री विद्वानों के लिए उपलब्ध कर दी है ।
* इस चिह्नांकित ग्रन्थों का सम्पादन स्वर्गीय गुरुवर्य श्रीचतुरविजयजीके साथ किया है । X इस चिह्नवाले ग्रन्थों का सम्पादन स्व. डॉ. भोगीलाल जे. सांडेसरा के साथ किया है ।
+ इस चिह्नवाले ग्रन्थों का सम्पादन पं. दलसुखभाई मालवणिया तथा पं. अमृतलाल मो. भोजक के साथ किया है !
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