________________
सण्णा
आचाराङ्ग
[४७]
के. आर. चन्द्र 11. आचाराङ्ग की जेसलमेर की वि. सं. 1485 की ताडपत्रीय
'जे.' प्रति जिसका मजैवि. के संस्करण में सूत्र नं. 1 से 31 तक उपयोग किया गया है, परंतु कुछ पाठान्तरों का उल्लेख नहीं हो पाया है वे इस प्रकार हैं। मजैवि.
सू. नं. | मजैवि. के संस्करण में 'जे.'
प्रति के अनुल्लिखत पाठान्तर
सन्ना णातं
नातं एवमेगेसिं
एवमेकेसिं णत्थि
नत्थि सहसम्मुइयाए
सहसम्मुदियाए एगेसिं
एकेसि णातं
नायं लोगावादी
लोकावाई समारंभमाणो
समारंभेमाणा
नरए णिक्खंतो
निक्खंतो पवेदितं
पवेतियं
निरए
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org