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आचाराङ्ग
[४१] . . . के. आर. चन्द्र 9. महावीर जैन विद्यालय, बम्बई के संस्करण और ला. द. भा.
संस्कृति विद्यामंदिर, अहमदाबाद को भेंट में मिली श्री मुक्तिविजय जैन लाइब्रेरी की 15 वीं शती की काग़ज़ की ‘ला.'
प्रति ( नं. 18772) के पाठों की तुलना मजैवि.
सूत्रनं. 'ला.' प्रति.
सण्णा
सन्ना उववातिते सहसंमदियाए अन्नेसि एवमेकेसि
उववाइए सहसम्मुइयाए अण्णेसिं एवमेगेसिं णातं उववाइए लोगावादी लोगंसि पुढविकम्मसमारंभेणं
नायं
अण्णे
णाभि णिडालमब्भे णिक्खंतो महावीहिं लोगं अण्णेहि अण्णे इहमेगेसिं
उववाइते लोकावाई लोकंसि पुढविकम्मसमारंभेण अन्ने नाभि निडालमज्झे निक्खंतो महावीही लोकं अन्नेहिं अन्ने इहमेकेसि नरए
निरए
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