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प्रथम अध्ययन का पुनः सम्पादन [३६]
पाठों की तुलना 6. महावीर जैन विद्यालय, बम्बई के संस्करण और श्री शांतिनाथ
ताड़पत्रीय जैन ज्ञानभंडार, खंभात की वि. सं. 1327 की
'खं. 3' प्रति के पाठों की तुलना । मजैवि.
सूत्र नं. | खं. 3 से मजैवि. के संस्करण
में अनुल्लिखित पाठान्तर आया उववाइए
आता उववादिए अंतिए.
अन्तिए परिण्णायकम्मे
परिण्णातकम्मे विरूवरूवेहिं
विरूवरूवेहि पाणे
नाभि णेवऽण्णेहिं
नेवअन्नेहि
गड्डिए अपरिणाया
अपरिण्णाता मेहावी
मेधावी
पाणा
णाभि
गढिए
मेहावी
गढिए
सत्थेहि
णायं
छिण्णं (दो बार) मिलाति (दो बार) अण्णेसिं मेहावी णेवाण्णेहि
मेधावी गढिते सत्थेहि नायं छिन्नं (दो बार) मिलाइ (दो बार) अनेसि मेधावी णेव'ण्णेहि
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