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आचाराङ्ग
[२७]
के. आर. चन्द्र
जैन विश्व भारती | महावीर जैन विद्यालय ।
मजैवि. सूत्र नं. 86, 95 88, 89
उदयणिस्सिया संणिधाणसत्थस्स अभिणिव्वुडच्चे
उदयनिस्सिया संनिहाणसत्थस्स अभिनिव्वुडच्चे बहुणडे संणिहिसंणिचओ उण्णतमाणे पभू
210 224 151 87
बहुनडे
सन्निहिसन्निचओ उन्नयमाणे
127
पहू
56
198
88
187
294
सरीरभेउ णिरामगंधो वासाणि आसणगाणि आगमेण तिविहेणं वीरेहि अण्णयरंसि
सरीरभेदो णिरामगंधे वासाई आसणगाई आगमेणं तिविधेण वीरेहि अण्णयरंमि
173
चरे
सहते
चर सहती सेवे सोएज्जा
सेवए
149
सोयए
विजहित्तु इति संखाय समायाए परिण्णाए
विजहित्ता इति संखाए समादाय परिणाय
161 188
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