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आचाराङ्ग
[२३]
के. आर. चन्द्र
सूत्र नं. महावीर जैन विद्यालय
अहिताए अबोधीए समुट्ठाए भगवतो णातं निरए गढिए तसकायकम्मसमारंभेणं समारभमाणे वधेति वधेति वहेंति सोणिताए वधेति
आगमोदय समिति अहियाए अबोहीए समुट्ठाय भगवओ णायं णरएं गड्डिए तसकायसमारंभेण समारंभमाणे हणंति वहंति वहंति सोणियाए वहंति सिङ्गाए
सिंगाए
नहाए
णहाए अट्ठीए
अट्ठिए
वधेति भवंति मेधावी समारभेज्जा समारभावेज्जा समारभंते परिण्णातकम्मे पभू आतंकदंसी जाणति
वहंति भवन्ति मेहावी समारंभेज्जा समारंभावेज्जा समारंभंते परिण्णायकम्मे
पहू
आयंकदंसी जाणइ
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