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प्रथम अध्ययन का पुनः सम्पादन सूत्र नं. महावीर जैन विद्यालय 35 जाती-मरण
दुक्खपडिघातहेतुं समारभति समारभावेति समणुजाणति अहिताए अबोधीए समुट्ठाए भगवतो णातं निरए गढिए विहिंसति संति पुढवि-णिस्सिता कट्ठ-णिस्सिता संघातमावजंति (2बार) समारभमाणस्स अंपरिण्णाता परिण्णाता मतिमं । एसोवरते पवुच्चति यावि
[२०] पाठों की तुलना आगमोदय समिति जाइ-मरणदुक्खपडिघायहेउं समारभइ समारंभावेइ समणुजाणइ अहियाए अबोहियाए समुट्ठाय भगवओ णायं णरए गड्डिए विहिसइ सन्ति पुढवि-निस्सिया कट्ठ-निस्सिया संघायमावज्जन्ति (2बार असमारंभमाणस्स परिण्णाया परिण्णाया मइमं एसोवरए पवुच्चई आवि लोए वियाहिए
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लोगे
वियाहिते
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