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आचाराङ्ग
[२५४]
के. आर. चन्द्र
के
अप्पेगे
अंधमच्छे ॥ १३८. अप्पेगे पायमब्भे,
जै. अंधमब्भे, म. -
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प्रा. -
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जै. अप्पेगे पायमच्छे. ॥ १३९. ।
अप्पेगे संपमारए, अप्पेगे उद्दवए ।
म
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अप्पेके अच्चाए वधेन्ति, अप्पेके अजिनाए अप्पेगे अच्चाए हणन्ति, अप्पेगे अजिणाए
अप्पेगे अच्चाए हणंति, अप्पेगे अजिणाए १४०. से बेमि- अप्पेगे अच्चाए वहंति, अप्पेगे अजिणाए
- - अप्पेगे अच्चाए वधति, अप्पेगे अजिणाए
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प्रा. वधेन्ति, अप्पेके मंसाए वधेन्ति, अप्पेके सोणिताए वधेन्ति शु. वहन्ति, अप्पेगे मंसाए वहन्ति, अप्पेगे सोणियाए वहन्ति, आ. वहंति, अप्पेगे मंसाए वहंति, अप्पेगे सोणियाए वहंति, जै. वहंति, अप्पेगे मंसाए वहंति, अप्पेगे सोणियाए वहंति, म. वधेति, अप्पेगे मंसाए वहेंति, अप्पेगे सोणिताए वधंति,
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