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________________ प्रथम अध्ययन का पुनः सम्पादन [ २२१] संस्करणों के पाठों की तुलना प्रा. से अत्तानं अब्भाइक्खति, जे अत्तानं अब्भाइक्खति से लोकं शु. से अत्ताणं अब्भाइक्खइ; जे अत्ताणं अब्भाइक्खइ, से लोगं से अत्ताणं अब्भाइक्खइ, जे अत्ताणं अब्भाइक्खइ से लोयं जै. से अत्ताणं अब्भाइक्खइ । जे अत्ताणं अब्भाइक्खइ, से लोयं म. से अत्ताणं अब्भाइक्खति, जे अत्ताणं अब्भाइक्खति से लोगं | प्रा. अब्भाइक्खति । २३. लज्जमाना पुढो पास । 'अनगारा मो' शु. अब्भाइक्खइ । लज्जमाणा पुढो पास । “अणगारा मो" आ. अब्भाइक्खइ (२२) लज्जमाणा पुढो पास- अणगारा मो जै. अब्भाइक्खइ ।। ४०. लज्जमाणा पुढो पास ॥ अणगारा मोत्ति म. अब्भाइक्खति । २३. लज्जमाणा पुढो पास । 'अणगारा मो' प्रा. त्ति एके पवदमाना, जमिणं विरूवरूवेहि सत्थेहि शु. त्ति एगे पवयमाणा । जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं आ. त्ति एगे पवयमाणा जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं जै. - एगे पवयमाणा ॥ ४२. जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं म. त्ति एगे पवयमाणा, जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं । प्रा. उदककम्मसमारम्भेण उदकसत्थं समारम्भमाणे अन्ने वऽनेकरूचे शु. उदयकम्मसमारम्भेणं उदयसत्थं समारम्भमाणे · अन्ने व'णेगरूवे आ. उदयकम्मसमारंभेणं उदयसत्थं समारंभमाणे - अणेगरूवे जै. उदय-कम्म-समारंभेणं उदय-सत्थं समारंभमाणे अण्णे वणेगरूवे म. उदयकम्मसमारंभेणं उदयसत्थं समारंभमाणे अण्णे वऽणेगरूवे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001438
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages364
LanguagePrakrit, Gujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Research
File Size14 MB
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