SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रथम अध्ययन का पुनः सम्पादन [२०९] संस्करणों के पाठों की तुलना प्रा. - अनेकस्वे पाणे विहिंसति। १३. तत्थ खलु भगवता शु. अन्ने व'णेग-रूवे पाणे विहिंसइ- तत्थ खलु भगवया आ. - अणेगरूवे पाणे विहिंसइ(१५) तत्थ खलु भगवया जै. अण्णे वणेगरूवे पाणे विहिंसति ॥ २०. तत्थ खलु भगवया म. - अणेगरूवे पाणे विहिंसति। १३. तत्थ खलु भगवता इमस्स इमस्स चेव चेव . इमस्स प्रा. परिन्ना पवेदिता शु. परिन्ना पवेइया आ. परिण्णा पवेइया, जै. परिण्णा पवेइया ॥ म. परिण्णा पवेदिता - इमस्स जीवितस्स जीवियस्स जीवियस्स जीवियस्स जीवियस्स २१. इमस्स इमस्स चेव प्रा. परिवन्दन-मानन-पूजनाए शु. परिवन्दण-माणण-पूयणाए आ. परिवंदणमाणणपूयणाए जै. परिवंदण-माणण-पूयणाए, म. परिवंदण- माणण-पूयणाए जाति-मरण-मोयनाए जाइ-मरण-मोयणाए जाइमरणमोयणाए जाई–मरण-मोयणाए, जाती-मरण-मोयणाए प्रा. दुक्खपडिघातहेतुं- से सयमेव पुढविसत्थं समारम्भति, अन्नेहि शु. दुक्ख-पडिघाय-हेउं– से सयमेव पुढवि-सत्थं समारभइ अन्नेहिं आ. दुक्खपडिघायहेउं से सयमेव पुढविसत्थं समारंभइ अण्णेहि जै. दुक्खपडिघायहेउं ।। २२. से सयमेव पुढवि-सत्थं समारंभइ, अण्णेहिं म. दुक्खपडिघातहेउं से सयमेव पुढविसत्थं समारंभति, अण्णेहि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001438
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages364
LanguagePrakrit, Gujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Research
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy