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विभाग - ६
विभिन्न संस्करणों के पाठों की तुलना
प्रथम पंक्ति में आचाराङ्ग के इस नव-सम्पादित संस्करण का पाठ दिया गया है और उसके नीचे अन्य संस्करणों के पाठ हैं ।
[इससे स्पष्ट होता है कि समय के प्रवाह के साथ और स्थलान्तर से मूल पाठ में कितना भाषिक परिवर्तन हो सकता है । इसी तथ्य की पुष्टि मेरी पुस्तक 'परंपरागत प्राकृत व्याकरण की समीक्षा और अर्धमागधी' के अध्ययन नं. १५ (मूल अर्धमागधी भाषा के यथास्थापन में विशेषावश्यकभाष्य की जेसलमेरीय ताड़पत्र की प्रति में भाषिक दृष्टि से उपलब्ध प्राचीन पाठों द्वारा एक दिशा सूचन) में हो रही है ।]
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