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के. आर. चन्द्र (ख) 'जे' प्रत में प्रत्येक गाथा का वही प्रारंभिक शब्द ___ लोप घोष-अघोष
यथावत् म० अल्पप्राण ७ १०% १२ १८% ४८ ७२% म० महाप्राण ० ०० ९ ५३% ८ ४७%
संयोग ७ ८३% २१ २५% ५६ ६६३%
इस विश्लेषण से स्पष्ट है कि स्वोपज्ञवृत्ति की तुलना में 'जे' प्रत की गाथाओं के प्रारम्भिक प्रथम शब्दों में ध्वनिगत परिवर्तन बहुत ही कम मात्रा में आगे बढा है और यह अन्तर लगभग ५३ है । परन्तु 'जे' प्रत की १ से १०० गाथाओं के सभी शब्दों का विश्लेषण करने पर उनमें यह लोप ११३% है और यथावत् स्थिति. ७०% है (आगे देखिए) जो स्वोपज्ञवृत्ति के साथ बहुत कम अन्तर रखता है।
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