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के. आर. चन्द्र दशवकालिक सूत्र (पद्यांश)
तं च होज्जा अकामेणं 51.11 (पाठा. अकामेण, अच्.) इमेणं उत्तरेण य 5 2.3, तम्हा सो पुठो पावणं 7.5 दुग्गओ वा पओएण' 9.2.19 (पतोदेण, अचू.) नावाहि तारिमाओ त्ति 7.38 बहु सुणेइ कण्णेहि ४.20
कण्णसोक्खेहि सद्देहि 8.26 गद्यांश
थेरेहि' भगवंतेहि 9.4.1,2,3
हस्तप्रतों में उपलब्ध ये दोनों प्रकार के पाठ और प्राचीन विभक्ति-प्रयोगों की दृष्टि से अनुस्वार का लोप अनावश्यक उत्तराध्ययन (अनुष्टुप् छंद)
उल्लंघण पलंघण, इंदियाण य जुंजणे 24.24 उभओ सीससंघाण', संजयाण तवस्सिणं 23 10
नक्खत्ताण मुहं बूहि, बूहि धम्माण वा मुहं 2:14 दशवकालिक मत्र (अनुष्टुप् छंद)
निगंधाण महेसिण 3.10 चिठित्ताण व संजए 5.2.8 संजायाण अकप्पियं 5.2.15.17
अमुयाण जयो होउ 7.50 पाठान्तरों में उपयुक्त प्राचीन प्रयोग (अनुष्टुप् छन्द के पद्य :) सूत्रकृवांग
__ असंकियाई संकंति 1.12.6 (पाठा. असंकियागि, खं १)
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