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प्राचीन अर्धमागधी की खोज में/के. आर. चन्द्र
(2) आगमोदय-संस्करण का आचारांग
त = त, य (अ) इच्चेते (2,5,6,7) इच्चेए (3) (ब) परिण्णाता.......परिण्णात कम्मे (17)
परिणाया......परिणात कम्मे (30)
परिणाया......परिण्णाय कम्मे (13) (3) जैन विश्वभारती संस्करण का आचारांग
त = त, य . (अ) भवइ (1, 4, 134), भवति (2, 25, 48) (आ) परिणाया भवंति (12), परिणाता भवंति (34) (इ) जाई-मरण-मोयणाए (10), जाती-मरण-मोयणाए (103) न = न, ण (ई) नो सण्णा (1), णो णातं (2)
ज्ञ = ण (उ) णातं (2. 4, 25), णायं (4 , 134) न्य = ण्ण, न्न
नेवण्णेहिं (33, 88), णेवन्नेहिं (64) (4) म. ज. वि. के संस्करण का आचारांग
त = त, य (अ) जीवियस्स (7), जीवितस्स (24) (आ) परिणाया (9), परिण्णाता (39)
(इ) दुक्खपडिघातहेतुं (7, दुक्खपडिघातहेउ• (13) दुक्खपडिघायहेतुं (51)
(ई) अन्नतरीतो दिसातो (1), अन्नतरीओ दिसाओ (2)
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