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________________ संदर्भ ग्रंथ 2 1. अंगसुत्ताणि ( आचारांग, आदि), जैन विश्व भारती, लाडनूं, सं. 2031 श्री ऋषभदेव केशरीमल, रतलाम 1941 और मुनि पुण्यविजयजी द्वारा संशोधित पाठयुक्त, ला. द. भा. स. वि. मंदिर में पंजीकृत संख्या प. 15880. आचारांग चूर्णि 3. आचाराङ्ग सूत्र, वाल्थेर झुबिंग, लीपजिग 1910 4. आचाराङ्ग सूत्रम् - नियुक्ति एवं वृत्ति, आगमोदय समिति, मेहसाणा, 1916 आयरिंग सुत्त, मुनि जम्बूविजयनी, म. जे. वि., बम्बई 1977. 5 आयारो, मुनि नथमल, युवाचार्य महाप्रज्ञ, जैन विश्व भारती लाडनू, सौं. 2031 इत्थी परिन्ना vide Ludwig Alsdorf, Kleine Schriften, Wiesbaden. 1974 इसिमासियाई, W. Schubring, L. D. Indology, Ahmedabad, 1974. 6. 7. 8. 9. 10. 11. ― 17. इसि भासियाइ : देखो पइण्णयसुत्ताइ उत्तराध्ययनसूत्र, जे. शापेण्टियर, अजय बुक सर्विस, न्यू देहली, 1980. कल्पसूत्र मुनि पुण्यविजयजी, साराभाई मणिलाल नवाब (गुजराती) ई. स. 1952 12. चित्तसंभूत vide Ludwig Alsdorf, Kleine Schriften, Wiesbaden, 1974 (p. 186) 13. दसवेयालियसुत्तं, उत्तरज्झयणाई, आवस्सयसुत्त, मुनि पुण्यविजयजी म. जै. वि. बम्बई, 1977 " 14. पण्णयसुत्ताई, प्रथमो भागः, मुनि पुण्यविजयजी म. जे. वि, बम्बई, 1984 15. पाइय-सद्द - महण्णवोः प ं. हरगोविन्ददास सेठ प्राकृत ग्रन्थ परिषद्, वाराणसी 1963 16. प्राकृत व्याकरण (गुजराती), पं. बेचरदास दोशी, युनिवर्सिटी ग्रंथ निर्माण बोर्ड, अमदाबाद, 1978. प्राकृत व्याकरणम् (Prakrit Grammar) : आचार्य हेमचन्द्र, संपादक : पी. एल वैद्य, 1928 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001435
Book TitlePrachin Ardhamagadhi ki Khoj me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1991
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Grammar
File Size6 MB
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