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________________ २२० कमलेशकुमार जैन प्रतीत होता है। अतः कृष्ण के जीवन से सम्बद्ध प्रसङ्ग--प्राप्त घटनाओं को क्रमशः रखकर कृष्ण के व्यक्तित्व को प्रस्तुत करने का एक लघु प्रयास यहां किया जा रहा है। आगम-साहित्य में उपलब्ध सन्दर्भो के अनुसार कृष्ण द्वारवती अथवा द्वारका नगरी में राज्य करते थे । द्वारका की रचना धनपति कुबेर ने कराई थी। इस नगरी के उत्तर-पूर्व में रेवतक नामक पर्वत, नन्दन वन एवं यक्षायतन थे। कृष्ण के राज्य की सीमा वैताढ्य पर्वत तक थी। उनके अधीन अनेक राजा राज्य करते थे, जिनमें समुद्रविजय प्रमुख दस दशार्ह, बलदेव प्रमुख पाँच महावीर, प्रद्युम्न प्रमुख ३॥ (साढे तीन) करोड़ कुमार, शम्ब प्रमुख साठ हजार दुर्दान्त, महासेन प्रमुख छप्पन हजार बलवत्क (बलवीर), वीरसेन प्रमुख इक्कीस हजार वीर, उग्रसेन प्रमुख सोलह हजार राजा, रुक्मिणी प्रमुख सोलह हजार रानियाँ, अनंगसेना प्रमुख कई हजार गणिकायें तथा अन्य अनेक ईश्वर, तलवर माडम्बिक, कौटुम्बिक, इभ्य, श्रेष्ठी, सेनापति, सार्थवाह आदि प्रमुख रूप से ( कोतवाल ), उल्लेखनीय हैं। ऊपर रुक्मिणी आदि जिन सोलह हजार रानियों का उल्लेख किया गया है, उनमें आठ पटरानियां थीं, जिनके नाम इस प्रकार है :-पद्मावती, गौरी, गांधारी, लक्ष्मणा, सुसीमा, जाम्बवती, सत्यभामा और रुक्मिणी । एक बार जब अरिष्टनेमि द्वारका आये तो कृष्ण के पूछने पर उन्होंने द्वारका के दहन की बात कही। तब कृष्ण ने घोषणा करवाई कि “ जो व्यक्ति दीक्षित होगा, उसके अभिनिष्क्रमण का भार मैं वहन करुंगा" - इसे सुनकर कृष्ण की आठों पटरानियां अरिष्ठनेमि के पास दीक्षित हो गई और अन्त में उन्हों ने मुक्तिलाभ प्राप्त किया। कृष्ण की ऊँचाई एवं आयु कृष्ण की ऊँचाई के सम्बन्ध में कहा गया है कि वे दस धनुष (अर्थात् चालीस हाथ ) लम्बे थे और उनकी आयु एक हजार वर्ष थी।" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001431
Book TitleJain Agam Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages330
LanguagePrakrit, Hindi, Enlgish, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & agam_related_articles
File Size18 MB
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