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________________ २०५ प्रायश्चित्त : स्वरूप और विधि का बार बार चिंतन करता है और विकथादि प्रमादों से अपना मन विरक्त कर लेता है । जब साधक प्रमादजन्य अपराधका परिहार कर देता है तब वह प्रायश्चित्त के ब्यवहारिक रूप को अंगीकार कर लेता है। प्रायश्चित्त के ये दोनों रूप आध्यात्मिक साधना के लक्ष्य को प्राप्त करने के साधन हैं । मूलाचार (गाथा 363) में प्रायश्चित्त के लिए कुछ पर्यायवाची शब्द दिये हैं :- प्राचीन कर्म-क्षेपण, निर्जरा, शोधन, धावन, पुच्छन, उत्क्षेपण और छेदन । ये नाम भी प्रायश्चित्त के विविध रूपों को अभिव्यक्त करते हैं। प्रायश्चित्त का सांगोपांग वर्णन छेदसूत्र, व्यवहारसूत्र, निशीथ, जीतकल्प, मूलाचार, भगवतीआराधना, अनगारधर्मामृत आदि ग्रंथों में उपलब्ध होता है । अंगों में यद्यपि छुट-पुट उल्लेख मिलते हैं पर उनका व्यवस्थित वर्णन दिखाई नहीं देता। प्रायश्चित्त को जैनधर्म में तप का सप्तम प्रकार अथवा आभ्यंतर तप का प्रथम प्रकार माना जाता है । बारह तपों के प्रकारों में बाह्य तप के तुरंत बाद आभ्यन्तर तप का वर्णन हुआ है जिसका प्रारंभ-प्रायश्चित्त से होता है। इसका तात्पर्य यह माना जा सकता है कि आचार्यो की दृष्टि में विनय, गैयावृत्य, स्वाध्याय, ध्यान और व्युत्सर्ग की आधारशिला प्रायश्चित्त माना गया है यही उसका महत्त्व है क्योंकि अपने अपराध की निश्छल स्वीकृति साधक की आंतरिक पवित्रता की प्रतिकृति हैं और जो ऋजु भाव से अपने अपराधोंकी आलोचना करता है वही प्रायश्चित्त के योग्य है। प्रायश्चित्त की परिधि और व्यवस्था स्वयंकृत अपराधों के प्रकारों पर निर्भर रहा करती है । इसी आधार पर आचार्यों ने इसे दस भेदों में विभाजित किया हैं । मूलाचार (गाथा, ३६२) के अनुसार ये दस भेद हैं आलोचना, प्रतिक्रमण, तदुभय, विवेक, व्युत्सर्ग, तप, छेद, मूल, परिहार और श्रद्धान । भगवती सूत्र (२५.७) तथा स्थानांग सूत्र(१०) में अंतिम दो भेद परिहार और श्रद्धान के स्थान पर अनवस्थाप्य और पारांचिक का उल्लेख है । मूलाचार की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001431
Book TitleJain Agam Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages330
LanguagePrakrit, Hindi, Enlgish, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & agam_related_articles
File Size18 MB
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