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________________ ९० [६] वंद कवि एवं पुणु पुणु गंतूण पाय-पुरउ णिविट्ठ संमुह जिणवरहो सयल - वि जायव तहिं तित्थर - णाहुतइलोक्कु सव्वु जो पेक्खइ धमक्खाणु झाणु दिव्व-ज्झणि पसरइ अक्खइ समयावलि - समूह - णीसेस - सव्वोवलय - णाडिउ एक्कु मुहत्तु पमुह लक्खणेक्क- परिवाडिउ वर- पुव्वंग - पुव्व - पल्लद्धि-कालु परिचत्तइं कुलयर - समय -जीय- उत्थिह - महिसिय- णामत्तई ॥ तित्थयराण देही हत्तवण्ण-अहिहाणइं अंतर - -जम्म पिउ-माय-परि-परिणामइ - पुव्व हायण - अयण-पवर - रिउ - मावस पक्ख राह - दिवसई सिविणावलि - सुजोय - णक्खत्तई रासी करइ वार - मुहुत्त - लग्ग - मह - दिवस - उवयरण - विहाणइं णाणा- रयण - वरिस - मंदिर सुरिंद किय-हाण लंछामय- पउम-सुकुमार- कार - वाइत्तइं भोगासत्त-समय- वइराय-भाव- - विणिमित्तई ॥ सिवि - दिक्खा - वास-पारणय- पुरिस-कम्मत्थई णाणुपति क्ख देवागमाई सुपसत्थई केवलि - कालु समवसरण -तय-पल-आयामई गणहर-सवण- सर्वाणि-साविय - पमाण- गुण - णामई संचिय- पुव्वायरिउ चउव्विहु विउल - विच्छित्तिउ सिक्खिय- अवहि - णाणि केवलिय- वाइ- उप्पत्तिउ दिव्व-ज्झणि - विणिग्गमाणेय - तत्त वक्खाणइ सयलेहिं गियद्धु चक्केसर थुणियइ जिणेसर - थाई ॥ - Jain Education International - For Private & Personal Use Only १२ रिट्ठणेमिचरिउ www.jainelibrary.org
SR No.001430
Book TitleRitthnemichariyam Part 4 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2000
Total Pages122
LanguagePrakrit, Apabhramsha
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size5 MB
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