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रिट्ठणेमिचरित
वाइय-अट्ठ-सयहिं सोहंतउ एयारह-सय-वेउव्वंतउ अट्ठ-सएहिं एयारह-सहसेहिं मह-पमाणु सिक्खुएहिं असेसेहिं सावय एक्कु लक्खु दरिसावणु वर चालीस सहस अज्जिय-गणु
घत्ता तहिं समवसरणे सुरेहिं पहाणेहिं णिय-मणे भाविय-धम्मक्खाणेहिं। किय-सिर-सेहरे सयं भुय-जुयलेहिं पुणु पुणु जिणु वंदिज्जइ सयलेहिं॥११
इय रिठ्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयंभुव-कए उव्वरिए तिहुअण-सयंभु-महाकइ-समाणिए समवसरण-णाम सउमो सगो।।
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