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सउमो संधि
वंग-अंग-पासेहिं परिसक्केवि
मलय-विसउ कमेण उवढुक्केवि
घत्ता
पइसरेवि तहिं भदिल-पट्टणे सहसंव-वणे परिट्ठियउ तक्खणे। कप्प-रुक्ख-रेहंत-णिरंतरु सुरेहि-मि णिम्मिउ थाणु स-वित्थरु॥ ७
[१०] जं संवच्छरु एक्कु भमेप्पिणु धम्म-पहावण लोए करेप्पिणु सव्व-भव्व-जण-जणिउद्धारउ थक्कु महावणे णेमि भडारउ तं सहसाइउ वंदणहत्तिए णामें पउंडराउ गुरु-हत्तिए णाणा-रायउत्त-परिवारिउ णाणा-तूर-राव-झंकारिउ ४ णाणाविह-परिगहिय-पसाहणु सज्जिय-णाणाविह-वर-वाहणु णाणाहरणु स-रज्जु स-परियणु पवर-रहस्स-विणिक्किय-णिय-तणु स-सरु(?) स-मंति स-भिच्चुस-संदणु णिवु सद्देण पत्तु तं उववणु किय पयहिण समसरणु पइट्ठउ जिणु जयकारिउ कोट्टे णिविट्ठउ ८
घत्ता तो महुसूयण-भाइ महंता चरिम-सरीर धीर गुणवंता। जे देवइ-वसुएवेहिं जाया ते-वि तहिं जि छ-वि तक्खणे आया ।। ९
[११] जे-वि जमल सग्गहो अवइण्णा महुराउरिहिं आसि उप्पण्णा जे चिरु माया-वप्पेहि थाविया जाय-मेत्त कंसहो अल्लविया जे चिरु कय-वहु-पुण्णेहिं लक्खिय जे गउतम-सुरेण परिरक्खिय जे वणि-धणियहे सुलसहे दिण्णा मगह-सेट्ठि-घरे रिद्धि पवण्णा जाहं पिय वत्तीस एक्केकहो जे एक्कल्ल-मल्ल तइलोक्कहो तहिं अणीयजसु णामु पहिल्लउ वीउ अणंतसेणु सत्थल्लउ तइयउ पुणु णामेण जियंतउ चउथउ णिहय-सत्तु उब्भिय-भउ पंचमु पुणु जसदेवु पहाणउ छट्ठउ सत्तुसेण-अहिहाणउ
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