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________________ १०६ पावेसइ सुड्डु मणोरमइ अट्ठमउ रामु जहिं गयउ चिरु घत्ता दस-सायर-समइ तहिं गमेवि चवेवि मणुयत्तणि । तव - णिहि पावेवि पुणु पइसे सहि सिव- पट्टणं ॥ [१५] तं णिसुणेवि वयणु मसि - वण्णु गउ णरिंदो । णं थिउ गिंभयाले दव-द ड्ड महिहरिंदो || १ (हेला) भासिएण जिणणाहहो णाहहो कंपइ देह स-रामहो रामहो असुहत्थी असुभाणहि भाणुहि अवलू अणिरुद्धहो णिरुद्धहो गाढउ मणु जिणधम्मो धम्मो दुहुं कुलुदीबायणि दीवायणि संकाविय मणि सारणि सारणिं मुहुं मइलिज्जइ गोरिहिं गोरिहिं सामलइज्जइ रुप्पिणि रुप्पिणि इंदत्तु सुरालइ पंचमइ तो दियर - कोड - किरण-रुइरु Jain Education International परितप्प को कहो भउ वट्टइ तव कामहो कामहो अदिहि वि सविलासंवहो संवहो चिंत पढुक्कइ णिसढहो सिढहो धुक्कुद्धुइ गोणंदहो णंदहो उम्माहउ भुय - पंजरि पंजरि होइ कलुसमइ सच्चहिं सच्चहिं इणि लिहइ सलक्खण लक्खण तिह जिय णियय रोहिणि रोहिणि ( पडिपाय - जमयं छंद) घत्ता तहिं वर-वेलए जउ अवत्थ जा दीसइ । सा आगंतुए पुरु डाहेवि दुक्करु होस || [१६] वरि सुसइ समुद्दु वरि मंदरो णमेइ । वि सव्वहु-भासि एत्थंतरि चिंतइ कुसुमसरु पल व ण चुक्कइ जिण - वयणु दाराव हि वि होइ खउ अण्णहा हवेइ ॥ १ (हेला) रिडणेमिचरिउ एहु सो महु तव चरणावसरु कहो मणि-कंचणु कहो सुहि-सयणु तहिं अण्णहो भुवणि थिरत्तु कउ For Private & Personal Use Only ८ ९ ४ १० www.jainelibrary.org
SR No.001430
Book TitleRitthnemichariyam Part 4 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2000
Total Pages122
LanguagePrakrit, Apabhramsha
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size5 MB
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