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________________ सत्तरिमो संधि [२०] जं भूरि कयंतहो वयणे छुडु तं रवि-सुएण सच्चइ णिरुद्ध अवरोप्परु दस दस सर विमुक्क उरगमणहं णं उरगमण ढुक्क जम-भउंह-भंगुब्भीसणई विहिं विण्णि-वि हयई सरासणई चंपाहिउ पंचहि पडिणिसिद्ध विससेणु पडीवउ दसहिं विद्धु ४ भीसावणु हा-हे-सर्दु जाउ वोल्लाविउ कण्णे कुरुव-राउ धट्ठज्जुण-सच्चइ हणहुं वे-वि जं भग्गहुं मेइणि सयल लेवि दसहिं दसहिं सहासिहिं रह-गयाइं अण्णु-वि लक्खेण महाहयाई पट्ठविउ सउणि दुजोहएण सिणि-णंदणु वेढिउ णंदणेण पत्ता तो कुरु-णाहेण असगाहेण वुत्तु एम णिय-सारहि। जायउ जेत्तहे लहु तेत्तहे रहु महु केरउ सारहि ।। __ [२१] रहु वाहिउ सच्चइ दसहिं विद्धु तेण-वि वाणउइहिं पडिणिसिद्ध पुणु पंच सयई परिपेसियाई रह-उवगरणइं णीसेसियाई अवरेण सरासणु सरेण भिण्णु कियवम्म-रहे कुरुवइ चडिण्णु तो णरु णिरुद्ध सुवलंगएण हउ दहिं पीडिउ वउ सर-सएण वीसहिं णरेण गंधार-णाहु छहिं दूसहु दुप्पहु तिहिं सुवाहु दूसासणु तिहिं तिहिं उलुअ-णामु पंचहिं विणिवारिउ सउणि मामु तिहिं तिहिं असेस णरवइ णरेण सउवलु पण? सुय-रहवरेण छहिं वाणहिं दोणहो सहुं गुणेण धणु छिण्णु ताव धट्ठज्जुणेण । घत्ता गसिउ स-वाहणु कुरु-साहणु जण्णसेण्ण-सिणि-जाएहिं । णं विसमाणणु जक्खाणणु दुद्दमग्गि-दुव्वाएहिं॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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