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________________ छासट्ठिमो संधि [१३] ते दुइ जण सो एक्कु जणु तिहि-मि भयंकर जाउ रणु। सर-सरवरेहिं अणेय हय चूरिय चामर छत्त धय॥ दुजोहणेण ते वे-वि जिय . गय चक्क-रक्ख पत्थहो मिलिय एत्तहे वि विओयरु वावरिउ वर-गय-चोवाण-हत्थु भमिउ जगडियइं असेसई रिउ-वलई पाडियइं छत्त-चामर-धयई कप्पियइ कुंभि-कुंभत्थलई हय हय वर-सारहि णिट्ठविय तेहि-मि तहो संदण-हाणि किय करु-मद्दराय एक्कहिं मिलिय णं णर-णिहेण जमु संचरिउ णरवर-सिर-झेंडुएण रमिउ उम्मग्ग लग्ग सोणिय-जलई णाडियइं महा-कवंध-सयई घिवियई चउदिसु मुत्ताहलई वहु वइवस-पट्टणु पट्टविय घत्ता रह मोडिय वूहई फोडियइं गय-घड विहडाविय ण णर। जिह सीहहो तेम विओयरहो कण्णु जे अग्गइ थाइ पर। [१४] कुरु सेण्णहे सीमंतिणिहे णावइ दुच्चारित्तिहे। भीमें सव्वु विणासु किउ एक्कु कण्णु पर कहि-मि थिउ॥ ४ रवि-सुएण रवि-किरण-कराले हसेवि सविब्भमु केरल-जाएं तेण-विधणु-विण्णाणु पगासिउ कुरुव-कुरंगालंघिय-सीमें धणु दोहाइउ रहवरु खंडिउ सारहि भिण्णु तुरंगम घाइय अंगराउ ओसरिउ रहंतर अण्णहिं रहवरे णवर चडेप्पिणु छायउ माया-सरवर-जालें . उरयडे विद्धु कण्णु णाराएं पावणि देहावरणु विणासिउ पंचवीस सर पेसिय भीमें आयवत्तु धउ छिंदेवि छंडिउ वइवस-पुरवर-पंथें लाइय कलयलु किउ सुरवरेहिं अणंतरु अहिणवु करे कोवंडु करेप्पिणु ८ . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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