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पुणु लइउ चउत्थउ दुम्मुहेण
उच्चाइउ पुणु पंचमउ रहु पुणु छट्ठउ वइरि - वियारणेण
आयामिउ पुणु सत्तमउ रहु अट्टमउ वि एम स- विग्गहेण ते अट्ठ महा-रहवर णिमिय
घत्ता
तो अण्णेहिं अण्णेहिं रहे चडेवि उ पुट्ठि देवि दोणायरिउ
अज्जुण धणु-गुण-गुंजियउ भीमें सीह - णाउ कियउ
[१०]
पवि-पुत्तें जं किउ सीह - णाउ खल खुद्द विओयर थाहि थाह तो म भवि सर घिविय वीस पंचहिं अवरेहिं जुत्तारु लिहिउ चउस िविओयरु घिवइ तासु कण्णेण चयारि विमुक्त वाण पंडवेण मुक्क वहु वंस - वाण रवि - सुएण सरेहिं सरोहु छिण्णु
घत्ता
कण्णहो कोवंडु पंडु-सुएण परिहरइ
अवरु चाउ किर करइ करे
ताडिउ तिहिं तोमरेहिं उरे
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[११]
णं अमिय-महण-गिरि महुमहेण सेसें असेसुणं धरणि-वहु स- मघेण व धणु अंगारएण णं वाहुवलीसरेण भरहु णं ससहरु लइउ महागण स- तुरंगम - सारहि धूलिकिय
झड ण सहंति विओयरहो । पडिवउ णिय - थाणंतरहो ॥
पंचयण्णु ओरुंजियउ ।
धम्म- पुत्तु आसासियउ ॥
खंडिउ महि-मंडले पडिउ ।
जइ वि महग्घ - कोडि घडिउ ॥
-
स
तं धाइउ सरहसु अंगराउ कहिं वलु अमणूसउ करेवि जाहि पहु पासे ठंति किं कहि-मि वीस - धुरंधरु कासु ण जणइ दिहिउ सई मग्गण चाइहे जंति पासु काणीण होंति सइ तुच्छ-दाण गुण-धम्म- रहिय सइ अप्पमाण णिसियरहं विहंजेवि वलि व दिण्णु
छाडिमो संधि
ताम विओयरेण समरे ।
कह - विछुद्ध कयंत - पुरे ॥
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