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णवइमो संधि
रए
अण्ण-भाउ जइ कमेहिं ण किज्जइ तो किं णेत्तु जेत्थु सिरु छिज्जइ
घत्ता अण्णइं आयइं अवरइ-मि जगे जीवहो को-वि ण अत्तु । अण्णहिं कारणे मोहियउ भव-लक्खेहिं काई ण पत्तु ॥
[११] भमइ जीउ संसारे असारए लयणि-मज्झे जिह गोंदले झिंदुउ जिह अरहट्ट-जंते घडि-गड्डउ जिह णडुरंगे अणेयहे गारिहिं +++++++++++++ जिह मायाविउ मायारूवेहिं जिह जलु णइ-तालाय-दह-कूवेहिं ४ कवणु भक्खु भक्खिएण ण भक्खिउ कवणु देसु जो तेण ण लक्खिउ आउसु कवणु तेण ण णिवद्धउं __कवणु देहु जो तेण ण खद्धउ भइणि जणेरि दुहिय कुलउत्ती कवणु णारि जा तेण ण भुत्ती खजइ खाइ मरइ मारावइ रम्मइ रमइ रुवइ रोवावइ
घत्ता अर्घउ असरणु एक्कु जणु परिरक्खणु अण्णु ण कोइ। भमइ चउव्विह-भव-गहणु जेण धम्मे ण लग्गइ तोइ॥
वाह
[१२]
मोक्ख-णयरु जो गंपि ण सक्कइ सो तिहुअणहो मज्झे परिसक्कइ जिह जर-पूसउ आयस-पंजरे जिह भुवंगु वम्मीयम्भंतरे तेम तिवाय-वलय-अब्भंतरे णिवडइ भमेवि भमेवि भुवणोयरे जिह वणट्टउ खप्परे तत्तए जिह चाउलु अद्दहणे कढंतए सुर-णिरएहिं दस सहस णिराउसु तेत्तीसोवहि उवहि-चिराउसु मज्झिम-गइहिं ति-पल्ल वरिट्ठउ । जीवइ खुद्द-भवाइं कण्णिट्ठउ णिच्च णिगोय तिसट्ठि सहासई तिह तिण्णि सयाई छत्तीसइं मरणहं एक्क-समय-अब्भंतरे खुद्द-भवाई ताई भुवणंतरे
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