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अट्ठासीइमो संधि
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तावं पराइय तिण्णि स-संदण तिहि-मि तेहिं वोल्लाविउ राणउ णाह विउज्झहि केत्तिउ सुप्पड़ अम्हई तिण्णि तुहारा किंकर पुणु पुणु आयामिय-संगामें । जइ पंडव ण छुद्ध जम-सासणे
। घत्ता पहु पभणइ तुम्हिहिं सव्विहि-मि अच्छंतु ताम ते पंच जण
किव-कियवम्म-महागुरु-णंदण वंधव-सयण-सोय-विद्दाणउ जो भावइ सो रणमुहे जुप्पइ जिह पर-परहो पयावइ-हरि-हर पहु वोल्लाविउ आसत्थामें तो हउं चडमि वलंते हुवासणे
८
वार-वार वेयारियउ। एक्कु-वि समरे ण मारियउ॥
४
[दुवई] भिच्च-णराहिवाण अवरोप्परु ए आलाव जावहिं।
भीम-किराय-राय-रायहो अणु-रायावसरे तावहिं॥ ढुक्क पास ओणाविय-मत्था विरइय कर-कमलंजलि-हत्था देव देव जले जलयर-क्खोहणु मंत-जलेण सुत्तु दुज्जोहणु सो वोल्लाविउ तिहि-मि सहाएहिं किव-कियवम्म-दोणदायाएहिं णीसरि णाह चयारि-वि जुज्झई पंडव-भडहं भडत्तणु वुज्झहुं जइ जम-सासणु ण णिय णिसागमे तो पइसरहुँ जलणे जालुग्गमे कुरुव-णराहिउ णिद्दए भुत्तउ मणु(रणु?) अवहेरि करेप्पिणु सुत्तउ गय ते तिण्णि-वि कहि-मि स-रहवर अम्हेहिं पत्त वत्त वत्तावर ते परिपुज्जिय वसुमइ-णाहे धायउ वलु रण-रहसुच्छाहें
घत्ता सरु वेढिउ तूरइं ताडियइं किउ कलयलु हक्कारियउ दुजोहणु णीसरंतु मरहि संखेहिं णाई णिवारियउ॥
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