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________________ रिठ्ठणे मिचरिउ पर-मंडलग्गाई गंधार-राएण पडिहयउ पासेण तहो दो-वि भग्गाई वड्डिय-कसाएण मुच्छाविओ तेण घत्ता तो पंडु-सुएण गंधारहो दिट्टि चेयण लहेवि समच्छरेण । घत्तिय णाई सणिच्छरेण ।। ८ तो सउणिय-मामें लउडि पित्त कुलदेवय णं चंदण-विलित्त स विमद्दिय मदिहे णंदणेण णं पूयण पुव्वे जणद्दणेण सहसत्ति सत्ति सउवलेण मुक्क तडि तडयडंति णं गिरिहे ढुक्क सा किय ति-खंड णउलोयरेण णं पिहिवि अद्ध-चक्केसरेण । तो सउणिय-मामें घित्तु सल्लु दुब्भेल्लु भल्लु भल्लेरु भल्लु विणिवारिउ तमि-सर-मंडवेण विहिं वाहउ छिण्णउ पंडवेण अवरेण भुअंगम-विब्भमेण खय-काल-कयंत-जमोवमेण कालायस-खुरेण सिला-सिएण वलि-गंध-धूय-अहिवासिएण घत्ता सिरु सउणिहे छिण्णु तेण रणंगणु अंचियउ। सिरु सामिहे देवि णाई कवंधु पणच्चियउ॥ [१६] हए मद्दिपुत्तेण गंधार-राएण णरिंदाण भंगे असेसाण जाएण वले पंडु-पुत्ताण तुट्ठा-पहुट्ठाण थिए भंगमग्गुजए धायरट्ठाण जुजुच्छू पिहा-पुत्त-जेट्ठस्स सिटुं जया तुम्ह सव्वाण वीराण इ8 तया णेमि अंतेउरं ताय-पासं सयं जाउ महिवट्ट दुजोहणासं पुरं जत्थ तं हत्थिणामंतिमल्लं महाराय-रायाहिवाणं पहिल्लं पमोक्कल्लिउ तेण तं तत्थ णीयं रुवंतं कणंतं महासोय-लीयं ठियं गंपि गंधारि-पायाण मूले भुवंगी-समूहं व हुयामराले(?) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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