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________________ २०७ एक्कु अणतेहिं भिण्णु तो- विजिज्जइ सलु घत्ता तो मद्दाहवेण मद्देयहो पुणरवि परिवड्ढिय-अवलेवहो पंचवीस सइयो उप्परि पत्थहो तीस सट्ठि गोविंदहो माहिवेण सयाई इंदिय गया +++++++++++++ पंचहिं पंच - वि धय दोहाइय सहणि तव - तणएण पउंजिय उलें सत्ति चक्कु सिणि-जाएं [११] Jain Education International सेल्लभल्ल-णाराएहिं । तवसिय हि स - कसाएहिं ॥ घत्ता [१२] अग्गएवाहं को -वि ण थक्क जिह जिह वलई असेसई चूरइ चिंतिउ वड्ड वार स-कसाएं तं तेहउ णिएवि आओहणु पंच - वि पंडु पुत्त धुउ मारइ ताम जुहिट्ठिलेण मद्देसहो तो स-वाण - वाणासण - हत्थहो तो धट्टज्जुणु भाणुवइ-कंतहो पंच - वि एक्कए वारए । मोक्खहो जंते भडार ॥ सत्तर सरहं मुक्क अग्गेयहो उलहो अट्ठ सत्त सहएवहो व रायहो भीमो तेहत्तरि सय सहास पुणु णरवर - विंदहो पंडु-सुयहं तणु ताइं भिण्णई पंचहं पंच महासर लाइय गय सहएवें समरि विसज्जिय विद्धु विओयरेण णाराएं छायासीइमो संधि - णीसावण्णु सल्ल परिसक्कइ तिह तह तव सुउ हियए विसूरइ एहु फेडेवर केण उवाएं मणे परिओसहो गउ दुज्जोहणु मई वइसए अज्जु वइसारइ चक्क - रक्ख णिय वइवस - देसहो दो पुत्र धाइ पत्थहो अवरहो अवर समरे पहरंतहो For Private & Personal Use Only ९ ४ ९ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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