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घत्ता
मरइ दोणु धट्ठज्जुणहो जण उ तो समर- मुहे
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दुज्जोहण पेक्खु पेक्खु वलई
दुज्जोहण पेक्खु पेक्खु तुरय दुज्जोहण पेक्खु हत्थि पडिय दुज्जोहण पेक्खु णिरुद्ध - पह दुज्जोहण पेक्खु सभ्य विसह दुहण पेक्खु लोट्टे धय दुज्जोहण पेक्खु सुहs - सिरइं दुज्जोहण पेक्खु परंतु रवि
घत्ता
तो सिमिरो पल्लट्टु पहु हाएवि पच्छिम-मयरहरे
[४]
गउ कुरुव-णराहिउ णिय- घरहो दिट्ठ सुर- कुसुमालंकियई लक्खिज्जइ अंगराउ पडिउ णं दिवो पाकसासणु चडिउ गुण संभरंतु कुरुवइ रुवइ अहो परम मित्त परमाहिरहि परं विणु को पहर रेण सहुं परं विणु वट्ट टल्लट्टलउं
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गंगेउ सिहंडिहे हत्थें ।
किं कण्णु णिहम्मइ पत्थें ।
वण - वियणाउर विहलंघलई णं धाउ - धराधर धरणि - गय णं जलहर पलय-पवण - झडिय गंधव्व-पुरोवम छिण्ण रह महिले लोलंत भुवंग जिह णं रण- सिरिवेणि णिवद्ध सय iss भिउडि-पगासिरइं लइ एवंहिं जुज्झावसरु ण - वि
दिण-मणि अत्थंतु सुहावइ । जलु पुत्त देंतणाव ॥
पंचासीइमो संधि
पंचाणणु णं गिरि-कंदरहो
कण्णज्जुण-रह परिसक्कियइं वीयउ दिणमणि आवडिउ णं केण वि कणय -
-पुंजु ठविउ पहु वाह-सणाह धाह मुवइ परं विणु सुण्णीथिय सयल महि परं विणु विच्छायउ वयणु महु परं विणु दलु जल- लव - चंचलउं
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