SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 204
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९५ घत्ता मरइ दोणु धट्ठज्जुणहो जण उ तो समर- मुहे [३] दुज्जोहण पेक्खु पेक्खु वलई दुज्जोहण पेक्खु पेक्खु तुरय दुज्जोहण पेक्खु हत्थि पडिय दुज्जोहण पेक्खु णिरुद्ध - पह दुज्जोहण पेक्खु सभ्य विसह दुहण पेक्खु लोट्टे धय दुज्जोहण पेक्खु सुहs - सिरइं दुज्जोहण पेक्खु परंतु रवि घत्ता तो सिमिरो पल्लट्टु पहु हाएवि पच्छिम-मयरहरे [४] गउ कुरुव-णराहिउ णिय- घरहो दिट्ठ सुर- कुसुमालंकियई लक्खिज्जइ अंगराउ पडिउ णं दिवो पाकसासणु चडिउ गुण संभरंतु कुरुवइ रुवइ अहो परम मित्त परमाहिरहि परं विणु को पहर रेण सहुं परं विणु वट्ट टल्लट्टलउं Jain Education International गंगेउ सिहंडिहे हत्थें । किं कण्णु णिहम्मइ पत्थें । वण - वियणाउर विहलंघलई णं धाउ - धराधर धरणि - गय णं जलहर पलय-पवण - झडिय गंधव्व-पुरोवम छिण्ण रह महिले लोलंत भुवंग जिह णं रण- सिरिवेणि णिवद्ध सय iss भिउडि-पगासिरइं लइ एवंहिं जुज्झावसरु ण - वि दिण-मणि अत्थंतु सुहावइ । जलु पुत्त देंतणाव ॥ पंचासीइमो संधि पंचाणणु णं गिरि-कंदरहो कण्णज्जुण-रह परिसक्कियइं वीयउ दिणमणि आवडिउ णं केण वि कणय - -पुंजु ठविउ पहु वाह-सणाह धाह मुवइ परं विणु सुण्णीथिय सयल महि परं विणु विच्छायउ वयणु महु परं विणु दलु जल- लव - चंचलउं For Private & Personal Use Only ४ ९ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy