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चउरासीइमो संधि
वार वार भिण्णइं धय-छत्तई पज्झरंति कण्णज्जुण गजई
पत्ता रणे कालवट्ट-गंडीवहं मंडलि दिंतहं सर-सयई। णं चंद-सूर परिपेसहं किरणई वाहिरे णिग्णयइं।
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कुंडल-जुवलालंकिय-कण्णे णिय-सारहि वोल्लाविउ कण्णे जइ हउं मरमि किरीडीहे हत्थें तो तुहुं काई करहि परमत्थें वुच्चइ अंगराउ जत्तारें
जइ मुउ कह-वि खुरुप्प-पहारें तो सिणि-णयणाणंदुप्पायण मारमि विण्णि-वि णर-णारायण वसुह समप्पमि कुरुव-णरिंदहो पंडव जंतु णयरु गोविंदहो कालिय-कंस-केसि-वल-मद्दणु वोल्लाविउ अज्जुणेण जणद्दणु जइ हउं णिहउ वियत्तण-चावें तो तुहुँ काई करहि सब्भावें परमासीस दिण्ण सुर-मद्दे णंद वद्ध जय जय जय सदें
घत्ता अजरामरु होहि धणंजय महु जीविएण-वि जियहि फुडु। कहु कण्णु जाइ सहुँ सल्लेण मइं पहरंतउ पेक्खु छुडु॥
[६] एम चवंत कुंति-कुल-दीवा कण्णज्जुण अभिट्ट पडीवा अंतरु कहि-मि ण दीसइ वाणहं जाउ विवाउ गयणे गिव्वाणहं कउरव-पक्खिएहिं आइट्ठउ जोइसु जोइस-चक्के गविट्ठउ चंद-सूर-तारा-वलु जेत्तहे वद्धावणउं रणंगणे तेत्तहे पंडव-पक्खिएहिं किउ कलयलु तुम्हहं कह उप्पण्णउं केवलु तारा-चंद वलइं जइ वासरे कहिं गय तो पहरहए अवसरे जइ आइच्चहो वलु अत्यंतहो तो णंदणहो समरे पहरंतहो काइं अकारणे करहो पसंसउ जेत्थु कण्हु जउ तेत्थु ण संसउ
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