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रिट्ठणे मिचरिउ
_[१५] गुरु-पुत्तु वहंतु महंतु सल्ल पडिलग्गु णिजुज्झें जेम मल्ल उच्चाइउ वाहेहिं रणे अराइ दसकंधरेण कइलासु णाई सिरि-रामालिंगिय-विग्गहेण णं महिहरु सुरवर-महिहरेण अच्छोडइ वसुहावलए जाम दरिसावइ णरहो मुरारि ताम सक्कंदण-णंदण धाहि धाहि धट्ठज्जुणु हउ हय वाहि वाहि तो अज्जुण-वाणेहिं भिण्णु साउ आरूढु महारहे लइउ चाउ तहो धाइउ तो गंडीव-धारि सर थरहरंत लाइय चयारि
घत्ता पत्थें अमरिस-कुद्धएण चामर चावई छत्त धयग्गइं। गुरु-सुउ सारहि रहु तुरय सब्बई कियई मडप्फर-भग्गई।
[१६] तहिं काले पणच्चिय-तंडवेहिं जय-तूरई दिण्णई पंडवेहिं पप्फुल्लिय-जंपण-कंजएण वोल्लाविउ सउरि धणंजएण लइ जाहुं जणद्दण तं पएसु संसत्तग-वलु जहिं किंपि सेसु दासारुहु दावइ पेक्खु पत्थ दुज्जोहण-पमुह महा-रहत्थ णर-णाहहो धाइय वद्ध-कोह णं गिरि-वेयड्डहो घण-घणोह परिवेढिउ सव्वेहिं धम्म-पुत्तु सच्चइ सिहंडि जमलेहिं गुत्तु पेक्खंतहं सोमय-सिंजयाह सिवकासि-करूसहं कइकयाहं घुसलेप्पिणु तवसुय-सेण्ण-सिंधु राहेएं रोहिउ राय-चिंधु
घत्ता सउणि-दोणि-दूसासणेहिं किव-किववम्म-कण्ण-कुरुणाहेहिं। पीडिजंतउ पेक्खु वलु जेम वालु वालग्गह-गाहेहिं ।।
दरिसावइ जायउ पेक्खु पत्थ परिहरु तव-तणयहो तणिय आस
का वट्टइ पंडु-वलहो अवत्थ जसु भिडिय णरिंदहं दस सहास
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