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ऊणासीइमो संधि
णर-णाराय-कडंतरिउ तूरइं देवि स-कलयलई
णिएवि सुसम्म-महारह-वाहणु। धाइउ पत्थहो कउरव-साहणु॥
जं रह-गय-तुरय-महावरेण्णु विद्दविउ तिगत्तहो तणउ सेण्णु तं रण-रस-रहस-समुब्भडाहं खर-पवणुप्पेल्लिय-धयवडाहं सोवण्ण-रहंग-मणोरमाहं गंधव्व-महापुर-विब्भमाहं दस सहस पधाइय रहवराहं । सय तीस पसत्थहं किंकराहं कियवम्मु कण्णु किउ सउणि-मामु दुजोहणु भुवणुच्छलिय-णामु गुरु-णंदणु सहुं दूसासणेण णं पवणु समाणु हुवासणेण एक्कल्लउ अज्जुणु रिउ अणेय भग्गा-वि समागय अप्पमेय लंघिज्जइ तो-वि ण कुरु-णरेहिं परिचिंतिउ केहि-मि कायरेहिं
घत्ता णरु णारायणु तुरय रहु सरु गंडीउ कइंद-महद्धउ। आइय सव्वइं जम-मुहइं दुक्करु चुक्कइ को-वि अखद्धउ ॥
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[२] एत्तहे-वि रइय-सर-मंडवेहिं पंचालेहिं मच्छेहिं कइकएहिं सिवकासिहिं करुसिहिं चेइवेहिं णर-णियर-करेरिय-वाहणाई
ओवाहिय-रहवर-रहवराई भड भडहं तुरंग तुरंगमाहं सोणियई वहंति अणिट्ठियाई पहरण-डरेण रणे दुण्णिरिक्खें
परिवारिउ पंडउ पंडवेहिं जायव-सिणि-सोमय-सिंजएहिं
ओएहिं अवरेहि-मि पत्थिवेहिं पडिलग्गइं विण्णि-वि साहणाई उद्धाइय-गयवर-गयवराई महि भरिय मंस-वस-कद्दमाहं सिर-मेत्तइं जाम परिट्ठियाई णं णासेवि थिउ रवि अंतरिक्खे
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