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________________ १०३ दिवसे चउत्थए रिउ - अक्खोहणि हणमि जइ - वि परिरक्ख दिणमणि एम भणेवि भिडिउ पडिवारउ पंडु - पुत्तु णाराएहिं छाइउ विद्धु वीस वाणेहिं गुरु-णंदणु उदोम - भाएं तेण-वि तहु ताडिउ णं वियरणहं लग्गु अंगारउ तो हउं वुच्चमि खत्तिउ पर - भोयणे जेहउ [दुवई ] तो धज्जुणेण धणु अवरु लएप्पिणु कणय - मंडिया । मुक्क वराह-कण्ण तेहत्तरि कंवुय - लट्ठि खंडिया ॥ अवरु सरासणु आसत्थामें दुमय सुयहो धणु पाडिउ वीयउ लइय सत्ति सहस त्ति विसज्जिय णाम - पगइ जिह सत्त-विहत्तिहिं सच्चइ ताम परिट्टिउ अंतरे सरहस वावरंति सम- - कंधय विणि-वि कणयालंकिय-संदण गुरु-सुउ सिणि-: - सुएण पच्चारिउ Jain Education International सरहसु धट्ठज्जुणु धाइउ ते - वि कह - विण पाडिउ संदणु चहत्तरिमो संधि घत्ता सर- संघाएं गुरु- सुउ गयण - वलग्गएण । रणे धणु पाडिउ णाइं ति-वाएं लग्गएण ॥ [८] घत्ता पग्गए सोत्तिउ दुक्करु तेहउ [९] [दुवई ] तो गुरु-णंदणेण वोलिज्जा हउं सच्चउ जे सोत्तिउ । उप्पहो वंभहत्त - कत्तारहो तुहु किर केवं खत्तिउ || लयउ णाई रामायणे रामें णं णिय-गंभे कंठ-ठिउ जीयउ खंड सत्त करेवि विहंजिय चउहिं तुरंगम धय धणुरत्तिहिं छाइउ सरेहिं परोप्परु संगरे सीह-सीह - लंगूल-महाधय विण्णि-वि दोण - धणंजय - णंदण कहिं महु जाहि रणेणोसारिउ वंभणु आसत्थामु तुहुं । वहिं रण- मुहे होहि महु ॥ For Private & Personal Use Only १० ४ ८ १० www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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