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दिवसे चउत्थए रिउ - अक्खोहणि हणमि जइ - वि परिरक्ख दिणमणि
एम भणेवि भिडिउ पडिवारउ
पंडु - पुत्तु णाराएहिं छाइउ विद्धु वीस वाणेहिं गुरु-णंदणु
उदोम - भाएं तेण-वि तहु ताडिउ
णं वियरणहं लग्गु अंगारउ
तो
हउं वुच्चमि खत्तिउ पर - भोयणे जेहउ
[दुवई ]
तो धज्जुणेण धणु अवरु लएप्पिणु कणय - मंडिया । मुक्क वराह-कण्ण तेहत्तरि कंवुय - लट्ठि खंडिया ॥ अवरु सरासणु आसत्थामें
दुमय सुयहो धणु पाडिउ वीयउ लइय सत्ति सहस त्ति विसज्जिय णाम - पगइ जिह सत्त-विहत्तिहिं सच्चइ ताम परिट्टिउ अंतरे सरहस वावरंति सम- - कंधय विणि-वि कणयालंकिय-संदण गुरु-सुउ सिणि-:
- सुएण पच्चारिउ
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सरहसु धट्ठज्जुणु धाइउ
ते - वि कह - विण पाडिउ संदणु
चहत्तरिमो संधि
घत्ता
सर- संघाएं
गुरु- सुउ गयण - वलग्गएण ।
रणे धणु पाडिउ णाइं ति-वाएं लग्गएण ॥
[८]
घत्ता
पग्गए सोत्तिउ दुक्करु तेहउ
[९]
[दुवई ]
तो गुरु-णंदणेण वोलिज्जा हउं सच्चउ जे सोत्तिउ । उप्पहो वंभहत्त - कत्तारहो तुहु किर केवं खत्तिउ ||
लयउ णाई रामायणे रामें णं णिय-गंभे कंठ-ठिउ जीयउ खंड सत्त करेवि विहंजिय चउहिं तुरंगम धय धणुरत्तिहिं छाइउ सरेहिं परोप्परु संगरे सीह-सीह - लंगूल-महाधय विण्णि-वि दोण - धणंजय - णंदण कहिं महु जाहि रणेणोसारिउ
वंभणु आसत्थामु तुहुं । वहिं रण- मुहे होहि महु ॥
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