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________________ ५४ रिट्टणेमिचरिउ ण पंडव कुरुबह देइ बुद्धि महि-कारणे णट्ठाणेय राय पहरंतह थाइ ण अंतराले कहो केरा मिलेवि मरति एय ८ हय पडु-पडह-सवाई रविहे धरतहो णाई ९ . अरुणुग्गमे सरहस-सरहसाई रोमंच-पसाहण-साहणाई उक्खय-दप्प-हरण-पहरणाई किय-भड-कडवंदण-वंदणाई ओवाहिय-हयवर-हयवराई तोसाविय-देवंगण-गणाई मयरद्धय-धय-उद्य-धयाई रुंदारुण-दारुण-लोयणाई सुहि वहेवि लहेसहु कवण सुद्धि वलि-रावण-णल-णहुस-हुण-जाय पच्चेलिउ हसइ विणासयाले जसु पुण्णई तसु हउँ वस-विहेय धत्ता किय कलयलई स-खग्गई । वलई वे-वि पिडे लग्गई ॥ [७] पइसरियई रण-रस-रण-रसाई रण-भर-णिब्वाहण-वाहणाई उद्विय-पर-वारण-वारणाई हरि-मुह-णीसंदण-संदणाई संचूरिय-गयवर-गयवराई उच्छलिय-महा-भीसण-सणाई पाविय-जीविय-संसय-सयाई धवलच्छिहे लच्छिहे लोयणाई धत्ता वलई वे-वि छायंतउ । रवि-ससि-विवइ लिंतउ ॥ [८] परि पसमिउ पडिवउ णं णियत्त मुउ पडेवि णाई सोणिय-समुद्दे केण-वि आमेल्लिउ वाण-जालु परिपिहिय-णिरंतर-अंतरिवखु रण-उ उट्ठिउ ताम णावइ गहकल्लोलु सो रण-रउ गउ लोयंतु पत्त मइ को-वि ण मइलिउ रण-रउद्दे थिउ णिभ्मलु सयल दियंतरालु णं अहिउलु दीसइ दुण्णिरिक्खु १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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