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सट्ठिमो संधि
४५. [२०]
(हेला) णिएवि अ-जुज्झमाणु हरि पडिगया गया सा ।
तासु जे पडिय मत्थए विज्जुला-विलासा ॥ जं णिहउ सुआउहु रणे रउदु तं धाइउ किंकर-वल-समुद्द पवणुद्धय-धय-कल्लोल-लोलु गय-णक-गाह-उच्छलिय-रोल दप्पहरण-पहरण-जलयरोहु सेयंग-तुरंग-तरंग-सोहु हकारिउ गरु मुए वाण-जालु कहिं गम्मइ हणेवि अ-सामिसालु ४. तो पत्थे छिण्णई छत्त-धयई स-सरीरइं सीसइं सरेहिं हयई विणिवाइय हय-गय-रहवरोह कप्परिय खुरुप्पेहिं सयल जोह रुहिर-णइ वहाविय अप्पमेय णर-रुंड पणच्चाविय अणेय पहरंत के-वि धरणियलु पत्त णासंति के-वि सर-मरिय-गत्त ८
घत्ता को-वि धणुद्धरु अज्जुणु णिएवि रण-स्थले । स-सर-सरासणु घिवइ सयं भुव-मंडले ॥
डले ॥
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इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयंभुएव-कए सट्ठिमो इमो सग्गो।।
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