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छहिं सत्तहिं दसहि सएण विद्धु पुणु लक्खेहिं पुणु अगणिय - सरेहिं वज्जम एहिं चूरिय सयल जोह वाम एहिं उद्धविय गइंद
जे जे पत्थेण ते ते दोणेण
दोण महाघणेणं तेहत्तरि सरेहिं
अज्जुण - मग्गए जले वोलीणए
अवरेण थणंतरे जणिउ डाहु तिणि-वि आसीविस - फणि- मुहेहिं गुरु- चरिउ णिएटिपणु वासु जज्जाहि धणंजय वेय-गमणु जं एम वृत्त नारायणेण भालयले ठियउ जो पट्ट-बंधु पयहिण करेवि गड सव्वसाइ जमलीकिउ हरि रहु दारुएण फोडेपिणु व्हो तणउ वारु
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घन्ता
दिव्व महासर पेसिय । पडसरेहिं णिण्णासिय ॥
पुणु सहि सहासेहिं पडिणिसिद्ध कुरु खद्ध णाई बहु विहरे हिं अग्गिएहिं दड्ढ महारदोह सूरम एहिं संताविय गरिद
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(हेला)
णाराय - किरण - कूरो । परिपिहि पत्थ- सूरो ॥
तिहिं वाणरु पंचहि पउमणाहु पडिवारा पिहिय सिलीमुहे हिं चितवइ ण किज्जइ कालखेड गुरु- सीस किर संगामु कत्रणु रहु दिष्णु णं दु-णारायणेण सोवण सकिरहवखंधु (?) पर-वल जगडंतु कयंतु णाई णं सिहि संधु क्कर मारुएण पइसरइ करेपिणु हथियारु
घत्ता
रिट्ठणेमिचरिङ
कुरु-गुरु पच्छ ए धावइ । वरणु विद्धउ णावइ ||
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