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________________ २२८ रितुणेमिचरिउ (२) पभणइ दोणु सोण-हय-संदणु कुरुवइ पेक्खु धणंजय-गंदणु जउ जउ दिट्टि देइ वहु-मच्छरु तउ तउ पीडइ णाई सणिच्छरु जउ जउ धिवइ घोरु वाणासणि तउ तउ पडइ गाई वज्जासणि जउ जउ हय-गय-धडह वियट्टइं तउ तउ सोणिव-णिवह णिवइ ४ जउ जउ रह परिसक्क वालहो तउ तउ धव पुज्जइ णं कालहो अउ जउ कर इ कुरुहुँ अबलोयणु तउ तउ भूय-विहगहुँ भोयणु तो दुज्जोहणु अक्खइ अण्णह सल्ल-किवह दूसासण-कण्णह दोणु समत्थु वि समरे ण जुज्झइ गुण-परिरक्ख कुमार ण वुझइ ८ धत्ता जइ सक्कहो तो परिसक्वहो महु वुत्तउ एत्तिउ करही । जिम धायहो जम-पहे लायहो जिम रिउ जीव-गाह धरहो॥ २ (३) तं णिसुणेवि णिय-कुल-णासणहो उप्पण्णु रोसु दूसासणहो अच्छउ मद्दाहिउ कण्णु किउ हां एक्कु रणंगणे धरमि रिउ पेसिय भुअणुब्भड भीम भडा सह तेहि मयालस हन्थि हडा जिह कामिणि तिह स-पसाहणिय जिह कामिणि तिह थोर-त्थणिय ४ जिह कामिणि तिह गंधुक्कडिय जिह कामिणि तिह दप्पुभडिय जिह कामिणि तिह मय-मिभलिय जिह कामिणि तिह मल्हण-चलिय जिह कामिणि तिह वहु-रय-भरिय जिह कामिणि तिह वहु-रय-चरिय जिह कामिणि तिह पच्छइय-णह जिह कामिणि तिह मय-मलिय-रह ८ जिह कामिणि तिह जुज्झण-मणिय जिह कामिणि तिह मुच्छावणिय घत्ता सा गय-घड रण रहसुब्भड सुर-बहु-णयणाणंदणेण । भण-भामिणि जिह वर-कामिणि वणे विमुक्क गर-गंदणेण ॥ १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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