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________________ तिवण्णालमा संधि [१९] घाइउ अरि-करि ताम सगबउ पायचारि ण अंजण-पत्र तविर-णयण-जुवल्लु मुक्कंकुसु धारासार-रिसु ण पाउसु कुछ मयधु वलुद्ध रु धावइ पत्थहो लोय-णाहु जाणावई लइ लइ लय उरहस्थिय वाणेहि (?) गं तो वे-वि चत्त णिय-पाणेहि ४ ज उवएसु दिण्णु सर-वासे किउ वइसाह-थाणु सेयासे पढमगुलिहिं विद्ध पुणु पुक्खरे पुणु गहूसे सोते सोत्ततरे हत्थ-पएसए-वि चउबीस-वि वयण-पएस भिण्ण बत्तीस वि ८ पत्ता सत्रह सविसेसह हस्थि पएसह घायालीसई चउ-सयई । कुसुमौंजलि हत्थे सुरवर-सत्थे दिट्ठई झत्ति समाह यई ॥९ [२०] सव्व पएस भिण्ण मायगहो जलइ व धाउ-महीहर-संगहो रुहिरई णीसर ति चउ-पारिहिं गिरि व विहसिउ फुल्ल-पलासेहि णिवडिउ मुच्छा-विहल्लु विसाणेहिं को जीवइ संतेहि-मि दाणे आयामेप्पिणु सव्व-पयत्तें जंघारुहिं धरिउ भययत्तें ताम धणजएण स-गइंदहो उहय-कर कुस-घरहो परिंदहो छिण्णु णिडाल-बटु सहु सीसें कुंडल-मउड-महामणि-भीसें उत्तमगु उच्छलिउ कवंधहो पडिउ कबंधु महाकरि-खंघहो करिबरु धरह धगुप्परि सीसहो पेक्खंतहो कुरु-णरहो असेसहो ८ पत्ता सरहसेहिं सहासेहिं भुवणुब्भरुहुल्लई अमर-सहासेहि सुरतरु-फुल्लई णर-रण-सरहस व एहि । चित्तई णरहो सई भूएहि ॥९ इय रिडणेमिचरिए धवलइयासिय-सय भूएव-कए तिवण्णासमो सग्गो ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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