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________________ एक्पण्णासमो संधि तो सयमण्णु-सुयहो धणु पाडिउ तेण वि सारहि सत्तर्हि वाणेहिं पर-सुरण णाराउ विसज्जिउ केस - सस - सुरण धणु छौं डिउ भोयहो समरे मडप्फरु भंजेवि सारहि सरह पोट्टिउ घाएं रहवरे पडिउ पुत्तु सयमण्णुहो तेण पडते पडिउ अपारउ पंडव-पहु परिओसिउ परवराय - विओएं [८] छिण्णु छत्तु घर चिंधु विहाडिउ विदु णिसिद्ध फणिंद समाणेहिं सो कियवम्मै वलि व विह जिउ लइउ किवाणु महाकरु मंडिउ सीह किसोरु पत्त ओरु जेवि पउरउ पहउ कंठे असिघाएं सिरे सुर - कुसुम - वरि अहि मण्णुहो वघव जणहो दुक्खु वड्डारउ धत्ता कळयलु घोसिउ कउरव-लोए [९] पउरउ जं समरणे घाइउ घरिउ सीg णं सीह-किसोरें होउ अमंगल विहुणिय- हत्थ हो मुक्कल - केस पहय-वच्छत्थल पई जिएण जिउ वच्छाओहणु वुच्चइ सव्वसाइ-दायाएं राहावेहे सय वर-मंडवे तुम्हई सव काई ण परज्जियं किण्ण नियत्तिय सुर- बंदिग्गहे Jain Education International घत्ता तुहु-मि जयद्दह गज्जहि संढ ण लज्जहि दोमइ-हरेण सुधी में संभरु भीमें १८५ ४ ८ तूरई वले देवावियई । मुह-कमलई मउलावियई ||९ करेवि जयास जयद्दहु घाइउ लु अहिमण्णु देहि रहु ओरें अज्जु विद्धि खत्तहो जिव पत्थहो उत्तर रुवइ अज्जु जिव दूसल ४ मई जिएण णिज्जिउ दुज्जोहणु कुरु - खेत्त हे ण भग्ग महु ताए दोमइ - करे लग्गंतर पडवे थिय विच्छाय मडप्फर - वज्जिय किं णोहामिय उत्तर- गोग्गहे For Private & Personal Use Only ८ कउरव-राएं भावियउ । कवण अवत्थ ण पावियउ ॥ १० www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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