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एकपण्णासमो संधि
अहिसिंचिए कलस-द्धए पट्टे णिवद्धए णिसि-णिग्गमें आलग्गइ उग्गय-खग्गई
रण-रसियइ किय-कलयलई। पडव-कुरुवराय-वलई ॥१।।
रवि-उगमे कुरु-खेत्त पयट्ट हय-तूरई वड्ढिय-उच्छाहइं गिरिवर-मरुय-महारह-विदई सिंधु-नर ग-तुरंग-तरं गइ विसहर-विसम-सिलीमुह-जाल कुलगिरि-सिंग-गरुय-गय दंडई पलय-समुद्द-रउद्द-णिणायई मउड-पहोहामिय-रवि-किरणई
पंडल-कुरुव-वलई अभिट्टई गहियाउह-परिहिय-सण्णाहई खय-जलहर-रव-रडिय-गइदई दूसह-दिणयर-फुरिय-रहंगइ विज्जु-विलासुज्जल करवाल ई जम-भउहा-भंगुर-कोवंडई पय-भय-भग भुयंगम रायई पहरण-जलण-तिडिक्किय-गयणई ८
धत्ता
रह-गय-घडहिं भिडतेहिं दस-दिसि-वहेहिं पधाइउ
भडहिं भिडंतेहि रउ र गंतु रणंगणहे कहि-मि ण माइउ अयसु णाई दुजोहणहो ॥९
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