SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 188
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७९ पण्णासमो संधि रण-रहसें कहि-मि ण माइयई जल-थलई णाई उद्धाइयई दोणे तो सयड-बूहु कियउ सुरवरह-मि दुप्परियल्लु थिउ त णिएवि जाउ भउ अज्जुणहो आएसु दिण्णु घट्ठज्जुणहो तो तेण-वि कंबु-वूहु रइड धय-दंड-संड-मडव-छइड घत्ता किय वूहई हय-तूर पगइए कूरई गंधवहुद्धय-चिंधई । जलहि-जलई णिमज्जायई xx भिडियई अग्गिम-खंधई ॥९. [१३] कण्णज्जुण्ण वूहाणणिहिथिय कुरु-पंडवे पक्खय पक्ख किय एक्कत्तहे एयारह गणित अणेत्तहे सत्तक्खोहणिउ एक्कत्तहे कउरव वहु-सयण अण्णेत्तहे पंडव पंच जण एक्कत्तहो चक्कर यणु पहणु 'अण्णेत्तहे अप्पुणु महुमहणु एक्कर्हि णिय-पुण्णई णिट्टियई अवरहिं सुणिमित्तई उट्टियई एक्कहिं वलंति सच्छाउहाई अवरहिं पुण्णई सव दुम्मुहाई एक्काहिं सिव असिवई आयरइ अवरहि जयसिरि पेसणु करई एक्कहि वयणई विच्छायाई अवरहि सुच्छायई जायाई ८ पत्ता जइ ण पडतु पियामहु सुरह-मि दुम्महु दारुणु करेवि महा-रणु । तो पंडव-कुरुरायह हरिस-विसायहं होतु ण एक्कु-वि कारणु ॥९ [१४] तो दुक्क महागय गयवरह णं सजल जलय णव-जलहरह तोरविय तुरंग तुरंगमहं णं पवर विहंग विहंगमह भड भडहं परोप्परु आवडिय णं गहेहिं महा-गह अभिडिय एक्वत्तहे वहुएहिं एक्क जणु वेढिज्जइ मेहेहिं जिह तवणु ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy