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________________ १४८ रिट्ठणेमिचरिंउ [२२] थिउ णिद्धम्मु धामु चितंतु-वि देहावरणु भिष्णु सहुं देहे धित्त सत्ति सहसत्ति पजिय सत्तिउ विण्णि अणेय चावई वे-वारउ तुरंग सर-ताडिय थिउ रेहउ कड्ढंतु महीयले आउ आउ रणु मुएवि महारह पइं कोमार-वंभ-वउ चिण्ण ४ विरहावत्थु पत्त वयवंतु-वि णं महिहरु णउ पाउस-मेहें स-वि पंचहिं सरेहिं पविह जिय दुमय-सुरण कियई अ-पयावई सारहि विण्णि विण्णि रह पाडिय हक्कार ति देव-रिसि णयले वंभुत्तर पइसरहि पियामह णिय-धणु दीणाणाहह दिण्णउ ८ घत्ता तहिं काले सिहडिहे वाणेहिं णइ-गंदणु भिण्णु णिरतरु अहिणव-वण्ण-स.धाउएहिं । सद-धम्मु जिह वाउएहिं ।। ९ [२३] तो-वि ण कंपिउ गंगा-णंदणु .. अ-घउ अ-सारहि अ-धणु अ-संदणु करे करवालु करेप्पिणु णिम्मलु ___चम्म-रयणु उरे धरेवि समुज्जलु घाइउ पलयाइच्च-समप्पहु सर-किरणेहिं णिवारिउ दूसहु दुमय-सुरण ताम सय-चंदउ छिण्णु स-मंडलग्गु वसुणंदउ भिण्णु णउत्तरेण संय-धाएं पुणु-वि खुरुप्प-सरण स-माएं तो पंडवेहि मिलिउ अखत्त सोमय-सिंजय-वलेण समत्ते णं अंवुहरुण माइउ धारेहिं . पाडिउ दिणमणि णाई पहारेहि पेच्छावहि सर उर पडिलग्गा अलि जिह कुसुम-पायव-वलग्गा ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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