________________
P) 24 की अनेक कृतियाँ सुसंपादित होकर प्रकाशित हो चुकी हैं-अतः शब्दकोश का कार्य भी धीमे धीमे कर रहा हूँ।
प्राकृत टैकस्ट सोसाइटी का मैं अत्यंत आभारी हूँ कि उसके विद्वान अधिकारीयों ने 'रिटठणेमिचरिउ' को उसकी ग्रन्थमाला में प्रकाशित करने की उदारता दिखाई । मेरा कार्य भूलों से भरा है, विद्वज्जन क्षमा करेंगे । मूल पाठ एक वर्ष से छपा पड़ा रहा और अनुवाद न भेज सका, इस विलंब के लिए मैं दोषी हूँ । शान्तिनिकेतन, १९९१
रामसिंह तोमर
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org