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भणइ विराडु ण दोसु रमंतहं कंक विणोय-मेत्तु जइ रम्मइ
रिट्ठणेमिचरिउ जूउ अवित्तणु सियमामंतह (?) तो कि कज्जे णिहणही गम्मइ ८
धत्ता
मूल अणत्यहा अत्थ-खउ वहु-घर-गउ दुकलत्तु जिह
पाडियस्व परिहरिउ विरिष्टे हैं । पंडव णिहु रमायउ गिटे हे(?) ॥
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ताव पराइय पडि-वद्वावा सहल-मणोरह जेम सुहावा कहिय तेहिं वल-विक्कम-सारें देव देव तउ तणए कुमारे एक्क-रहेण परज्जिय खत्तिय सट्टि लक्ख गो-हणह णि यत्तिय तो वर-वइरि-मडप्फर-साडे जोयइ णिय भुय-दंड वि डे ४ को पई करइ वयणु महु उज्जल सारहि संदु तो-वि जिउ पर-बलु भणइ अजायसत्तु अहो राणा को संदेहु समुण्णय-माणा जसु देव-वि अदेव समरंगणे जो ण भग्ग तल-तालुय-साहणे सो धुर-धारउ जासु विहंदल अबसें तासु हेांति रिउ दुव्वल ८ कुइउ मच्छु मरु सेव ण जाणहि पुत्त महारउ उ वक्खाणहि
घत्ता पहउ णिडाले दुरोयरेहिं रुहिर-धार णिवडंति णिरुद्धी । राय-करंजलि-पच्छइय णाई विराडहो तणिय दुवुद्धी ।। १०
सोणिउ तं णिवडंतु णियच्छिउ लुहिउ णिडालु रुहिर-पव्वालिउ उत्तरु ताम पत्त णिय-मंदिर दउवारिएण कहिज्जइ मच्छहो को आएसु दुवारे पडिच्छइ लहु पइसहु पट्टविउ णरिंदे
कंस-पत्त दोवइए पडिच्छिउ णिम्मल-जलेण सुटु पक्खालिउ णावइ आरणालु इंदिदिर पुत्तागमणु काई ण णियच्छहो पय-पंकय-पेक्खणहं समिच्छइ कहिउ कण्णे तहा धम्माणंदें
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