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विधति कणय - पुंखेहिं सरेहिं
तो आयामेपिणु दुज्जएण वीमच्छहो वइरि-विणास-कर तेण वि सो दसहि सरेहि हउ
तो तालु वम्म- पुरंजण गाउ गाउ पडिवारउ उत्थरहि
किं सहइ भुवंगम गरुड-झड किं करइ सो सुरयणायरहो तो ण सहिउ कण्ण-कणिट्टु मणे णउ णदिघोसु दीसइ स-धउ तेहए - वि महाहवे पंडवेण
पत्थ- हुवासणु
सर-जाला भीसणु अण्णाहि रहे थाएवि वाणेहि छाएवि
(१९)
पभणिउ राहेउ घणंजएण ओसरु विकण्ण तुहुं महु मरहि किं सीहहो ढुक्कइ हत्थि-हड जोइंगणु गयणे दिवायरहो सर-जालें छाइउ पत्थु रणे उ णावइ उत्तरु कहि-मि गउ सर-मंडउ हउ सर-मंडवेण
धत्ता
सिर-कमले विकण्णहो तोडियए उत्थरिउ चउद्दिसु वइरि क्लु णं विझहो घाउ मेह- उलु एक पत्थु अणेय कुरु
रिट्ठणेमिचरिउ
सिल- धोएहि कंक - पक्ख-घरेहिं
सत्तु जण सत्तुजएण वच्छ-त्थले लाइय पंच सर स-तुरंगु स सारहि धरणि गउ
धत्ता
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पुणु-त्रि लग्गु जं कुरुव-वणे | पडिवउ भिडिउ त्रिकण्णु रणे ॥ ९
तक्खणे वीमच्छे
सर-परिहत्थे पच्चारेष्पिणु कुरुव- वलु । पेक्खतहो कण्णहो खुडिउ विकण्णहो सरवर -हंसेहिं सिर-कमल ||८ (२०)
गिरि-मंदर - सिहरे व मोडियए णं सूरहो पासेहिं नम-पडलु आटत्तु महाहउ अतुल वलु थिउ समरे विडिव तो वि उरु
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