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________________ रिटणेमिचरिउ तिहि चिंघउं विद्धउ दक्स्ववमि तिहिं उत्तर उत्तर सिक्खयमि चउ चंडेहि कंडेहि हय हणमि छहिं पत्थहो पत्थहो उरु खणमि जइ एत्तिउ चिंतिउ णउ करमि तो दूसहे हुयवहे पइसरमि तहि अवसरि अंतरे दे वि रहु किउ कपिउ जंपिउ जलणपहु ८ धत्ता मज्जाय-विवज्जिय कण्ण अलज्जिय कहि पइजुझिउ सहु णरेण । भड-वाएं भज्जहि जं तुहुं गज्जहि वहुवह मज्झे मडप्फरेण ॥ ९ [११] वार-वार किं कण्ण गज्जसे पंचहं पि भूयह ण लज्जसे अज्जुणेण सह जोद्भुमिच्छसे णिय-सिरेण वज्ज पडिच्छसे वसुमई वहतो ण भज्जसे विसहरं धरतो ण खजसे हुयवहं छिवंतो ण डझसे णाय-वास-मझे ण वझसे सरवरोह-विद्धो ण विज्झसे णहयलं कमंतो ण खिज्जसे कुरुवराय-भुय-वंधणारए किं कयं ति तई ताए वारए चित्तसेण-सर-णियर-रोहिओ अच्छिओ सि तुहुं तहि मि मोहिओ पंडवेहिं तइया विमोखिओ एम कण्ण बहु-बार जोक्खिओ ८ पत्ता विस-जउहर-जूयई तुम्हहिं भूयई मरण-दुक्ख-हक्काराई । सु-पउंजिय सामह सुह-परिणामहं ताह मणोरह-गाराइं ॥९ . [१२]. किव-दोणि-दोण दिय तिण्णि जहिं जुझेवए बोल्ल समत्त तहिं। दुजोहण सउणि कण्ण तुहु-मि जइ जोयहो रणे पत्थहो मुहु-मि तो वट्टइ तुम्हहु किण्ण किउ महि-मंडलु अच्छइ हत्थे थिउ -हिं अवसरि पभणइ गंग-सुउ णग्गोह-रोह-पारोह-भुउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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