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________________ १४२ रिट्ठणेमिच स गवेसिय पेसिय तेण तहिं गुरु-अच्चण-णच्चण-साल जहिं णिय-पणए विणएं सद्दियउ रहे भर-सहे थिय आणंदियउ धत्ता गयणंगणे धत्तेवि लहु आमंतेवि कवउ किरीडे लयउ किह । णउ केण-विदिट्टर हियए पइट्टउ झत्ति णवल्लउ पेम्मु जिह ॥ ९ ४ रहिएण वि विहुणेत्रि णियय-तणु णिविसंतरे अंबरे सण्णहणु अहिमंतिउ घत्तिउ णीसरिउ उरे केम-वि केम-वि पइसरिउ चविउत्तर-उत्तर विद्वाई आणेज्जहि लेज्जहि चिंधाई रहु जोत्तिउ खत्तिउ तेत्थु थिउ कुरु जेत्तहे तेत्तहे णरेण णिउ वह-मयगलु अलमलु णिएवि वलु अ-मडप्फरु कायरु चत्त-छलु परिचितइ धतइ रहहो तणु लइ णासमि लेसमि अवरु धणु अहिमाणहो थाणहो ओसरिउ कुलु गव्वहो सव्वहो ओसरिउ जिय-खंडउ पंडउ समर सहुं हय चोइय जोइय जाम रहु घत्ता ९ तहि अवसरे उत्तर गउ थोवतरु अज्जुणु पच्छए धाइयउ । विवरियहिं विक्खेहिं केसरी सिक्खेहि हरिणु णाई संभाइयउ ॥ [४] किव-कण्ण-विकण्ण-पहाणएहि स-पयावेहि सव्वेहि राणएहि जोइज्जइ दिज्जइ दिट्टि तहिं दोवइ-वरु उत्तर वे-वि जहिं गुरु वोल्लइ उल्लइ णियय-मणु विहि आयह आयह एक्कु जणु धणु-हत्थहो पत्थहो अणुहरइ दुणिरिक्खेहिं विक्खेहिं संचरइ थिउ मं पुणु अज्जुणु वय-पउढे घणु-संगें अंगे लग्गु कुढे तहिं अवसरे रहवरे णउ चडिउ वल-रहिउ रहिउ महियले पडिउ 3. 9b. ज. वियखेहि. 4. 39. ज. ऊसइ ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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