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अज्जुणु विण्णवइ हउं वायरिउ
घत्ता
मणहरउ लडह-लायण्णउ |
णच्चामि णरवइ - कण्णउ ॥
णामेग विहंदल दुल्ललिय करे वलयई कण्णेहिं कुंडलई
jrat aण पहरिय णच्चेवर सई द्वायरिंउ
गाएवए किण्णरु किंपुरिसु तर्हि अवसरे जमल-जे चवड्
जे णिरु विसम-सील दप्पुच्दुर
ता मालइ - माला- ललिय-भुय जामि विष्णाणु अमुत्तमउं किंकरि कल - कोइल - वाणियहे तो एव परोपरु संगयई समि दीसइ ताम स- कोडरिय सग्गह स-भूव स भुवंगमिय कहिँ जंवय - णिवह भयंकरिय दुदम-दणु-देह - वियारणई
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घत्ता
प्रभणइ जोइसिउ हजं गोउलु णाह णिहालमि । गो-रस-रिद्धि-करु घण-पालु होवि धणु वा ॥
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परिहसमि कंवल कंचुलिय
रिट्टणेमिचरिउ
पणं चंद- दिवायर-मंडलई
जा कसण-भुवंगिहे अणुहरिय अवरेहि- मिं गुणेहिं अलंकारिउ वाएवए को-वि ण मई: सरिसु उ होमि महंतु महासवइ ते-वि करेमि तुरंगम- पदर
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सम्भावें पभणइ दुमय- सुय सयलिंधि भडारा होमि हउं कमलच्छिते मच्छो राणियहे पुरवर - सीमंतरू ववगयङ्क: गिग्गय-वहु-दल बहु-संगस्थि समय स-सूल स-विहंगमिय स- मसाण जमेण वि परिहरिय तर्हि उलें गिहियई पहरणई
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